Jan 31, 2016

कह दो इन

कह  दो इन आइनों को 
नत हुआ है सच 
दस्तूर है आज का 
छद्म  रूप  के  सभी  है भक्त्त 
रोष  की आंच  में 
सभी  है  मस्त 
सत्य की  आंच कम  न  पड़  जाए 
इसलिए  लेखनी  को  सहारा मानती हूँ. .
                                                  - © पम्मी 
चित्र -पम्मी  सिंह




6 comments:

  1. छोटी किंतु दमदार और सार्थक रचना की प्रस्तुति। अच्छे लेखन के लिए शुभकामनाएं।

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  2. छोटी किंतु दमदार और सार्थक रचना की प्रस्तुति। अच्छे लेखन के लिए शुभकामनाएं।

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  3. प्रतिक्रिया हेतू आभार, सर धन्यवाद.

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  4. उम्दा रचना ।

    आपके ब्लॉग को यहाँ शामिल किया गया है ।
    ब्लॉग"दीप"

    यहाँ भी पधारें-

    "कवि की दशा (हास्य कविता)"

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  5. बहुत बहुत धन्यवाद,सर

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  6. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..

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अनकहे का रिवाज..

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